नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥ माथे पे चन्द्र सोहे अंगो पे विभूति लगाये एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥ धन निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥ श्रीरामचरितमानस धर्म संग्रह धर्म-संसार एकादशी श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल https://jaibhole.co.in/home/Shree-Shiv-Chalisa
Little Known Facts About Shiv Chaisa.
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